Friday, June 19, 2015

मेरी माँ से कहना वह रोया न करे


मैं अक्सर मां से कहता था माँ! 
 प्रार्थना करना कभी तेरा यह बेटा खाकी वर्दी पहने 
 सीने पे पदक सजाये 
शहीदो  का सा नूर लिए
 तेरे सामने गर्व से खड़ा हो, 

 और मेरी माँ मेरी माँ यह सुनकर हंस दिया करती थी 

कभी जो तुम्हें मेरी माँ मिले तो 
उससे कहना वह अभी भी हंसती रहा करे, 
कि शहीदों की माताओं रोया नहीं करतीं। । । ।

 मैं अक्सर मां से कहता था 
 उस दिन का इंतजार करना, 
 जब धरती तेरे बेटे को पुकार लगाये , 
 और इन महान पर्वतो  के बीच बहते निर्मल नदी का नीला पानी, 
 और स्वात की घाटियों  में बारिश के कणो  की तरह 
गिरती प्रकाश की किरणे तेरे बेटे को पुकार लगाये। 

 और फिर उस दिन के बाद, 
 मेरा इंतजार न करना, 
 कि खाकी वर्दी में जाने वाले अक्सर, 
 हरे  तिरंगे  में लौट आते हैं

। । । मगर मेरी माँ। । ।
 आज भी मेरा इंतजार करती है, 
 घर की चौखट पे बैठी पल गिनती रहती है, । । । 

 कभी जो तुम्हें मेरी माँ मिले तो इससे कहना,
 वह घर की चौखट पे बैठे  मेरा इंतजार न करे। । । । 
 खाकी वर्दी में जाने वाले लौटकर कब आते हैं? 

 मैं अक्सर मां से कहता था याद रखना!
 इस धरती के सीने पे मेरी बहनों के आंसू गिरे थे, 
 मुझे वह आंसू उन्हें लौटाने हैं। । । 

 मेरे साथियों के सिर काटे गए थे 
 और उनका लहू इस मिट्टी से लाल कर दिया गया था .. 
 मुझे मिट्टी में मिलने वाले इस लहू का कर्ज उतारना  है। । । 

 और मेरी माँ यह सुनकर नम आंखों से मुस्कुरा दिया करती थी। । ।

 कभी जो तुम्हें मेरी माँ मिले तो इससे कहना 
 उसके बेटे ने लहू का कर्ज चुका दिया था । । 

 मैं अक्सर मां से कहता था 
 मेरा वादा मत भूलना , 
 कि युद्ध के इस क्षेत्र में मानवता के दुश्मन 
दरिंदों को  यह बहादुर बेटा वापस नहीं बुलाएगा 
 और सारी गोलियां सीने पे खाएगा 

 और मेरी माँ यह सुनकर तड़प जाया करती थी 

 कभी जो तुम्हें मेरी माँ मिले तो इससे कहना, 
 उसका बेटा बुजदिल  नहीं था, 
 उसने पीठ नहीं दिखाई थी, 
 और सारी गोलियां सीने पे खाई  थी। .. । 

 मैं अक्सर मां से कहता था, 
 तुम सैनिकों को प्यार क्यों करती हो? 
 तुम सैनिकों से प्यार न किया करो,
माँ! हमारे जनाज़े हमेशा जवान उठाते  हैं। । । 

 और मेरी माँ  यह सुनकर रो दिया करती थी 

 कभी जो तुम्हें मेरी माँ मिले तो इससे कहना, 
 वह सैनिकों से प्यार न करे। । । 
 और दरवाजे की चौखट पे बैठे  मेरा इंतजार न करे 
 सुनो। । ।! तुम मेरी माँ से कहना वह रोया न करे। । ।

1 comments:

सुशील कुमार जोशी delete June 19, 2015 at 11:57 PM

सुंदर रचना ।


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